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भारतीय मुसलमानों की माली हालत ! | Pavitra India

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मेरे जन्मगाव महाराष्ट्र राज्य के खान्देश विभाग के, धुलिया जिला, साक्री तालुका, गांव मालपूर, आजसे सत्तर साल पहले, डेढ़ दो हजार जनसंख्या होगी ! आज शायद दोगुना हो सकती है ! उस साठ के दशक में कुल सात-आठ मुस्लिम समुदाय के घर होंगे ! उसमे से एकाध घर जुम्मन खाटिक का था ! जिसका काम बकरा काटकर उसके मांस की बिक्री करना था ! और उसकी थोड़ी जमीन थी लेकिन बाद में वह भी बेजमीन हो गया ! एक कपड़े की शिलाई वाला, जिसे आज टेलर बोलते हैं ! और एक ताशा बजाने वाले का घर था ! और एक रजाई-गद्दे बनाने वाला, जिसे हम पिंजारी बोलते थे ! और एक विधवा महिला खातून बी, थोडे अमिर लोगों के घरों में झाड़ू पोंछे का काम करने वाली ! और उसके दो बेटों लड्डू और बुरहान को कूली से लेकर, लकड़ियों को फोडकर देने जैसे कामो को करते हुए देखा है ! गांव में मस्जिद का अस्तित्व नहीं था !


और वैसे देखा जाय तो मंदीरो का भी अस्तित्व नहीं था ! क्योंकि महात्मा ज्योतिबा फुले के, सत्यशोधक समाज के प्रभाव के वजह से, जो कभी एक – दो मंदिर थे ! वहां की मूर्तियां हटाकर उस जगह स्कूल चलता था ! मेरे खुद के स्मरण से मेरी पहली – दुसरी कक्षाओं की पढाई उसी जगह पर हुई है ! शायद साठ के अंत में जिला परिषद और उसके द्वारा स्कूल की बिल्डिंग बनाई गई ! और मै तिसरी – चौथी क्लास में नई इमारत में पढ़ने के लिए जाने लगा था ! लेकिन जहां तक मुझे याद आ रहा उन सात – आठ मुस्लिम समुदाय के घरों से एक भी बच्चा – बच्चियों को हमने स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं देखा ! और न ही उनकी किसीके भी माली हालत बच्चों को बाहर भेज कर पढ़ने के लिए भेजने की नही थी ! हमारे क्षेत्र की बोली भाषा अहिराणी है ! और ब्राह्मण से लेकर महार – मांग, चमार, ढोर भंगि और मुसलमानों को भी हमारे खान्देश की बोलीभाषा अहिराणी ही बोलते हुए देखा हूँ ! आज सिर्फ दो घर रहे हैं ! और उनके पुरखों को दफनाने की जगह पर गांव के दबंगों ने कब्जा कर के ! वहा पर अपनी कोठी बना ली है ! यह सत्तर के दशक के भीतर की स्थिति थी ! और उसी दौरान 1962 चीनने भारत पर हमला किया ! हमारे गाँव में कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभाव था ! तो हमारे क्षेत्र के सभी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया गया था !
मैने सातवीं फायनल की परीक्षा पास करने के बाद, (1964-65 के दौरान) तिस चालिस किलोमीटर दूर, बुआ के गांव शिंदखेडा नामके अन्य तालुका की जगह पर आठवी की पढाई हेतु शायद ( 1965-66 ) में ! मै 1969 तक, 11 वी मॅट्रिक की पढ़ाई करने तक, उम्र के पंद्रह सोलह साल के आसपास रहा था ! इस दौरान भारत चीन की लडाई, (1962) और भारत पाकिस्तान की लडाई, ( सितंबर 1965 ) यह भारत के आजादी के बाद, और मेरे भी जन्म के बाद देश के इतिहास में संक्रमण का काल रहा है ! इसी दौरान 27 मई 1964 में हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हुई है ! जब मैं शिंदखेडा में ही था ! और मेरी बुआ के घर में फिलिप्स कंपनी का काफी बड़ा रेडियो सेट था ! तो घर के बाहर पूरा मोहल्ले के लोगों को, नेहरूजी के मृत्यु तथा उनके शवयात्रा का रेडियो प्रसारण सुनने के लिए काफी लोगों को सुनने के लिए इकठ्ठा होते हुए देखा था !


तो वहां पर पहली बार मेरे भूगोल के शिक्षक श्री. बी. बी. पाटिल के आग्रह से संघ की शाखा में जाने लगा था ! ( 1965 – 66 ) और भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ था ! और नेहरूजी की मृत्यु के बाद लालबहादुर शास्त्रीजी प्रधानमंत्री के पद पर थे ! संघ की शाखा में बटवारे के समय हिंदूओ के साथ अत्याचार की घटनाओं को, मुख्यतः महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाओं को, मसाला लगा – लगाकर बताया जाता था ! बटवारे के बीस साल के भीतर का दौर था ! ( 1965-66 )
शिंदखेडा के मुसलमानों का एक मोहल्ला था ! जहाँ मैं संघ की शाख से वापस लौटते समय, ताजा- ताजा शाखा में बटवारे की बातें सुनकर खुब उत्तेजित अवस्था में, उस मोहल्ले से चलते-चलते, मुसलमानों को गालियां देते हुए, घर वापस आता था ! लेकिन किसी भी मुसलमानने नहीं मुझे कभी टोकने का अनुभव एक बार भी नहीं हुआ ! सिर्फ वह टुकुर – टुकुर आंखों से देखा करते थे !
उस बस्ती में कोई तांगा चलाने वाले तो कोई पिंजारी, तो कोई खाटिक, तो कोई ताशा या बैंड-बाजे वाले, ही ज्यादा तर संख्या में होते थे ! हाँ दो चार घर शिया खोजा बोहरा दुकानदारों के थे ! वह शायद शिंदखेडा के सब से अमिर लोग थे ! दुकान के साथ उनके पास जमीन भी काफी थी ! मै ( 1964-65 ) जिस न्यू इंग्लिश स्कूल मे पढाई के लिए गया था ! लेकिन पढ़ाई खत्म करने (1969 ) के बाद उसी बोहरा ब्यापारी परिवार के किसी बुजुर्ग के नाम पर हो गया है ! क्योंकि उन्होंने स्कूल बिल्डिंग बनाने के लिए काफी डोनेशन दिया था !
शिंदखेडा की संघ की शाखा में जाने के समय, मेरी उम्र गिनकर 12-13 साल की थी ! अमूमन संघ की शाखाओं में जाने वाले सभी स्वयंसेवक दस से बीस साल के बीच की उम्र के होते हैं ! इस उम्र में संघ की शाखा के बौध्दिक, खेल, गाने, कथा – कहानी मतलब सभी गतिविधियों का उद्देश्य घुमा-फिराकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों खिलाफ संघ स्वयंसेवक के मन में नफरत पैदा करने के लिए प्रेरित किया करता था !
उदाहरण के लिए सरकारने मियां लोगों को बहुत सर पर चढा रखा है ! यह लोग बहुत बच्चे पैदा करते हैं ! इसलिए इनकी जनसंख्या हिंदुओं से अधिक बढते जा रही है ! उपर से उनकी चार – चार बिविया होती है ! इनकी मस्जिदों के उपर माईक लगे रहते हैं ! और उसपर से, दिन में पांच बार अजान सुनाते रहते हैं ! और भारत- पाकिस्तान क्रिकेट मॅच मे, पाकिस्तान जितने से, मुस्लिम मोहल्ले में फटाके फोडे जाते हैं ! और इनकी वफादारी भारत की तुलना में पाकिस्तान या अन्य मुस्लिम देशों के तरफ ज्यादा रहती है ! इनके मोहल्ले बहुत ही गंदगी से भरे रहते हैं ! मुस्लिम पैदाइशी आक्रामक होते हैं ! बच्चों को पढ़ाने की जगह मदरसों में भेजते हैं ! और उन्हें आतंकवादी का ट्रेनिंग दिया जाता है ! हिंदु लडकियो अपने जाल में फंसा कर, उन्हें इस्लाम धर्मपरिवर्तन करने के लिए जोर – जबरदस्ती करते हैं ! और अब तो केरल स्टोरी, कश्मीर फाइल्स जैसे सिनेमा विशेष प्रोत्साहन देकर तैयार किए जा रहे हैं ! और वर्तमान समय का तथाकथित मुख्य धारा का मिडिया रहि कसर को पूरा करने का काम 24 घंटों किए जा रहा है !
इसमें सबसे पहले मुद्दे को लेते हैं ! सरकारने किसी भी दल की हो, पचहत्तर साल के आजादी की यात्रा में मुस्लिम समुदाय के लिए, ऐसी कौन सी योजना लाई है ? जिसमें उस समाज के लोगों को अन्य समाज की तुलना में अधिक फायदा मिला हो ! उल्टा जस्टिस रंगनाथ मिश्रा और जस्टिस राजेंद्र सच्चर कमेटी के रिपोर्टों के अनुसार देखा जाए तो ! भारत के आजादी के बाद मुस्लिम समुदाय की माली हालत, दिन-प्रतिदिन खस्ताहाल होते गई है ! सरकारी नौकरीपेशा में उनकी सहभागिता उनकी जनसंख्या की तुलना में बहुत ही कम है ! 1-6 प्रथम क्लास, और 3-9 द्वितिय क्लास में, तथा 4-4 तकनीकी क्लास में ! भारत के किसी भी समुदायों की तुलना में, मुसलमानों का सरकारी नौकरियों में सब से कम अनूपात है !
सबसे हैरानी की बात सेना तथा पुलिस, सुरक्षा बल जैसे बड़ी संख्या में भर्ती करने के विभागों में तो, यह अनुपात और भी कम है ! क्योंकि भर्ती करने के समय ही उस उम्मीदवार का नाम देखकर उसे अनफिट बोलकर सबसे पहले छाटा जाता है ! तो सरकारने इन्हें सरपर चढा रखा है ! इस जुमले का मतलब क्या हुआ ? नौकरी में सब से कम अनुपात खुद का धंधा करने के लिए, किसी भी सरकारी बैंक के पास कर्ज के लिए जाने से, उसका नाम देखकर ही, उसका लोन एप्लीकेशन को नकारा जाता है ! तो अपने हूनर के आधार पर मेकॅनिक या राजमिस्तरी, बुनकर जैसे काम कराकर, बहुत ही मेहनत और मुश्किलों का सामना करते हुए, अपने परिवार का भरणपोषण करने की कोशिश करते हैं !

(2) दुसरा मुद्दा जनसंख्या बढाने का, हमारे देश में हर दस सालों के बाद जनसंख्या की गणना की जाती है ! आजादी के बाद से अभी तक भारत की जनसंख्या के बढ़ने के अनुपात में, हिंदु और मुस्लिम समुदाय में जनसंख्या की बढने की जगह 4-7 % कम होने के रिपोर्ट है ! और चार पत्नियों का मामला तो बहुत ही हास्यास्पद है ! क्योंकि मुस्लिम समुदाय में एक के बाद दुसरी शादी करना बुरा माना जाता है ! कुछ अपवाद स्वरूप उदाहरण के लिए मिल सकते हैं ! लेकिन हिंदुओं में भी एक पत्नी के रहते हुए, दुसरी महिला के साथ संबंधों का चलन सदियों से चला आ रहा है ! और उसे मर्दानगी का लक्षण माना जाता है ! राष्ट्र सेवा दल के तरफ से सावित्रीबाई फुले के मैके के गांव में परितक्ता महिलाओं का संमेलन आयोजित किया गया था ! जिसमें तीन लाख से अधिक परितक्ता महिलाओं ने हिस्सा लिया था ! और वह भी सिर्फ मराठवाडा क्षेत्र के कुछ जिलों से ! तो पूरे महाराष्ट्र में क्या अनुपात होगा ?

( 3) मस्जिदों के उपर लाऊडस्पीकर, और दिन मे पांच बार नमाज के समय, अजान के बारे में, कूल ढाई-तीन मिनट की एक अजान, पांच मिला कर पंद्रह मिनट का अजान का लाऊडस्पीकर पर वह भी चौबीस घंटों में ! लेकिन गणेशोत्सव , दुर्गोत्सव, कालीपूजा , शिवरात्री, श्रीरामजयंती, हनुमान जयंती के अवसर पर, तथा घरेलू शादी ब्याह, तथा अन्य समारोहों के समय, अभी तो लाऊडस्पीकर की जगह पर ! डीजे का कानफाडू आवाज से, कितने बुजुर्गों तथा विद्यार्थियों और मरीजों को तकलीफ हो रही है ? कोर्ट के आदेश होने के बावजूद डीजे वाले बाबूजी रुकने का नाम नहीं लेते हैं ! तो मस्जिदों के लाऊडस्पीकर पर आपत्ति करने वाले लोगों को वर्तमान समय में डीजे और अभी तो 22 जनवरी के बाद जो माहौल पैदा किया जा रहा है ! उसपर कौन आपत्ति ले रहे हैं ?

(4) चौथे मुद्दे को लिजिये मैं खुद अभितक मेरे पुश्तैनी गांव से लेकर कलकत्ता और अभी 27 साल से नागपुर में अभितक फटाके फोडना वह भी विशेष रूप से मुस्लिमों के मुहल्ले में सुना नहीं है ! उल्टा किसी और देश की तुलना में पाकिस्तान को भारत की टिमने हराने के बाद जो पटाखे हमारे अपने अगल – बगल में फोडे जाते है उसका क्या ?

(5) वा मुद्दा देश के प्रति वफादारी ! भारत के 140 करोड़ जन संख्या के कितने लोगों इतनी फुर्सत है कि देश के प्रति वफादारी बताया जाता हो ? सिर्फ मुसलमानों को टार्गेट करने की वजह से आजकल मुझे खुद को कई बार पंद्रह अगस्त या 26 जनवरी को मुस्लिम मोहल्ले में झंडा फहराने के लिए आमंत्रित किया गया है ! और मैंने झंडा फहराने के बाद कहा कि “आज मुस्लिम समुदाय के लोगों को देशभक्ति दिखाने की नौबत आना, कोई अच्छा लक्षण नहीं है ! क्योंकि किसी भी हिंदु को यह सवाल नहीं किया जा रहा है ! सिर्फ मुसलमानों को यह करने की आवश्यकता बन गई है ! जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मुसलमानों के बारे में जहरीला प्रचार करने की वजह से आज यह दिन आया है! लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हमारे देश के राष्ट्रध्वज को कब सम्मान देना शुरू किया ? और उन्हें मुस्लिम समुदाय को राष्ट्रभक्ति का पाठ पढ़ाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है ! क्योंकि संघ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से कोसों दूर रहा है ! और हमारे संविधान तथा राष्ट्रध्वज को नकारा है ! ऐसे पाखंडीओ को दुसरों को राष्ट्रभक्ति के बारे में कुछ भी पुछने का नैतिक अधिकार नहीं है ! ”
मुस्लिम मोहल्ले गंदे होते हैं इसके लिए मुस्लिम समुदाय के साथ और कौन जिम्मेदार है ? शहर के मोहल्ले की साफ-सफाई रखने के लिए नगरपालिका होती है ! वह भारत के किसी भी शहर या कस्बे के मुस्लिम मोहल्ले के बारे में लगभग हर जगह लापरवाह होते हैं ! वहां के रस्तों से लेकर नालियां बनाने की जिम्मेदारी नगरपालिका की होती है ! लेकिन शहर के अन्य बस्तियों की तुलना में मुस्लिम बस्तियों के प्रति सौतेला व्यवहार किया जाता है ! और दंगों की वजह से वह अपने – अपने मोहल्ले में रहने के लिए मजबूर हो गए हैं ! मध्य प्रदेश के खरगोन में पिछले साल दंगों के बाद खरगोन के कलेक्टर ने मुसलमानों को सबक सिखाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया और बाद में हिंदुओं और मुसलमानों की बस्तियों के बीच में फिलिस्तीन के जैसी कांक्रीट की दिवार खडी कर दिया है कलेक्टर ने मिडिया को संबोधित करते हुए कहा कि यह मैने खरगोन में शांति बनाए रखने के लिए किया है !
इस वजह से मुस्लिमों के मोहल्ले भीडभाड वाले होते जा रहे हैं ! यह जो जनसंख्या का घेट्टोझायजेशन हो गया है ! यह भविष्य के दंगों के लिए बहुत ही खतरनाक है ! और इसके लिए बहुसंख्यकों के सांप्रदायिकिकरण होने की वजह से यह दिन-प्रतिदिन और भी बढते जा रहा है ! जिस वजह से एक दूसरे के बारे में गलतफहमियां फैलाने के लिए यह बटवारे जैसी स्थिति और भी काम आती है ! क्योंकि जब एक-दूसरे के साथ संबंध नहीं है ! आना-जाना लगभग बंद होते जा रहा है ! इस कारण अफवाह फैलाना या मुसलमान ऐसे हैं ! मुसलमान वैसे है ! जो संघ की शाखाओं में घोट – घोटकर स्वयंसेवकों माथे में डाला जाता है ! शाखाओं से निकला हुआ प्रधानमंत्री हो या गृहमंत्री – मुख्यमंत्री वह उम्र के पंद्रह साल से बीस – पच्चीस साल तक यह सुनकर तैयार होकर निकला हुआ ! कोई भी स्वयंसेवक किसी भी महत्वपूर्ण पदाधिकारी बना ! तो भी वह मुस्लिम समुदाय के साथ कैसा व्यवहार करेंगे ? वर्तमान में गत दस सालों से हम आप सभी आयेदिन देख रहे हैं ! मदरसों को आतंकवाद के ट्रेनिंग सेंटर बोला जाता है ! यह पाकिस्तान में जनरल मुशर्रफ के समय मुशर्रफ ने अपने आत्मकथा में खुद ही लिखी हुई, जानकारी के मुताबिक ! “जनरल जिया के समय सीआईए की मदद से अफगानिस्तान में रशियन सेना के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ! दुनियाभर के मुस्लिम युवाओं को इकट्ठा करके, पाकिस्तान के मदरसों में आतंकवाद का ट्रेनिंग देने का काम हुआ है ! लेकिन उसी जानकारी को भारत के मदरसों के नाम पर संघ ने नियोजन बध्द तरिकेसे फैलाने का काम किया है !


बिल्कुल इसके उल्टा संघ के संस्थापकों में से एक बी. एस. मुंजे ने 1931 मे, इटालियन फॅसिस्ट डिक्टेटर मुसोलिनी के साथ मुलाकात करते समय! इटली के फॅसिस्ट स्कूल ऑफ मिलिटरी को देखते हुए ! भारत में लौटने के बाद 1934 में नागपुर और नासिक में मिलिटरी स्कूल की स्थापना की है ! और उसका मुख्य उद्देश्य हिंदु युवाओं को अस्र – शस्त्रों की तथा लड़ाई करने की ट्रेनिंग देने के लिए स्थापित की गयी है ! और भारत में इक्कीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में नांदेड़, नागपुर, मालेगांव, अजमेर शरिफ, मक्का मस्जिद हैदराबाद, समझौता एक्सप्रेस विस्फोट की घटनाओं को अंजाम देने वाले कौन लोग शामिल थे ? मालेगाँव विस्फोट की जांच-पड़ताल करते समय महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे ने प्रज्ञ सिंह ठाकुर तथा अन्य हिंदुत्ववादी लोगो को गिरफ्तार किया था जो अभी जामिन पर बाहर है और भोपाल से भाजपा के तरफ से लोकसभा सदस्य बनकर बैठी हुई है !
इसलिए सांप्रदायिक राजनीति हिंदुओं की हो या मुसलमानों की वह दोनों समाज के लोगों के लिए गलत है ! जो आज हूबहू अनुभव में दिखाई दे रही है !

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