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वक्फ़ बिल के बहाने | Pavitra India

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ क्या संबंध है ? यह पिछले हफ्ते नागपुर में प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी जी के संघ के मुख्यालय पर आकर संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार तथा द्वितीय संघप्रमुख श्री. माधव सदाशिव गोलवलकर की समाधीयो के दर्शन के बाद उन्होंने कहा कि ” संघ ने भारत को गुलामी से बाहर निकालने का ऐतिहासिक काम किया है . 1925 को स्थापित संघ ने आजादी मिलने को 22 सालो के भितर कोई एक उदाहरण बता दे कि संघ ने अंग्रेजों की गुलामी हटाने के लिए कौन सा काम किया है ? उल्टा अंग्रेजों की पुलिस मे भर्ती के लिए ही संघ की गतिविधियों को अगर हमारे देश के प्रधानमंत्री देश की गुलामी को हटाने का काम बोले है . तो बात अलग है.


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक जिन्हें अबतक के सभी संघप्रमुखो की तुलना में सबसे अधिक समय 33 साल का कार्यकाल संघप्रमुख के रूप में मिला था . श्री. माधव सदाशिव गोलवलकर ने अपनी 1939 मे लिखित WE OR OUR NATION HOOD DEFINED किताब में ( 1940-73 ) साफ- साफ कहां था There are only two courses open to the foreign elements, either to merge themselves in the national race and adopt its culture, or to live at its mercy so long as the national race may allow them to do so and the quit the country at the sweet will of the national race. That is only sound view on the minorities problem. That is the only logical and correct solution. That alone keeps the national life healthy and undisputed. That alone keeps the nation safe from the danger of a cancer developing into its body politic of the creation of a state within the state. “भारत में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय को गोलवलकर विदेशी लोग बोल रहे हैं .

जो हिटलर ने जर्मनी में इसी वंशवाद के आधार पर ही ( 1930 – 1945 ) यहुदीयो के लिए अमल मे लाया गया था. 60 लाख से अधिक संख्या में यहुदियो को गॅस चेंबर मे डालकर मार डाला था. आर एस एस के आदर्श इटली के फासिस्ट नेता बेनिटो मुसोलिनी और जर्मनी के अडॉल्फ हिटलर स्थापना के समय से ही रहे हैं . हिटलर की शुध्द आर्य वंश की थेयरी का अनुकरण गोलवलकर अपने 33 साल के संघप्रमुख के रहते हुए हमेशा करते रहे थे. इस किताब का उपर लिखा उध्दरण से वह साफ – साफ नजर आ रहा है .


और लगभग यही अमल मे लाने के लिए समान नागरिक संहिता हो, या एन आर सी हो, या अभि कल संसद के दोनों सदनों मे पारित किया गया वक्फ़ संशोधन बिल भी उसी दिशा में भाजपा ने उठाया हुआ कदम है . हालांकि इस बिल के समर्थन में दोनों सदनों मे भाजपा के लोग पसमांदा और मुस्लिम महिलाओं के लिए हम यह सब कुछ कर रहे हैं . यह बोलते हुए थकते नहीं है.
लेकिन इन्हीं पसमांदाओ को उनके रोजमर्रा के जीवन जीने के लिए चल रही जद्दोजहद के लिए, कर्नाटक सरकारने कुछ नौकरी में रिजर्वेशन के लिए निर्णय लिया तो भाजपा संसद में उसकी आलोचना कर रही है सरकारी नौकरियों में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या की तुलना में कितने प्रतिशत लोग है ?यही रिपोर्ट न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा और न्यायमूर्ति राजेंद्र सच्चर कमिटियों ने भी मुस्लिम समुदाय की माली हालत पर रोशनी डालने का काम किया है . और इस कारण मुस्लिम समुदाय के लोगों को देहाडी मजदूरी से लेकर छोटे-छोटे धंधे जिसमे कोई दुकान खोल कर बैठे हैं, तो दुकानों पर उन्हें अपनी पहचान लिखने के लिए कहना कौन सा पसमांदाओ के भले के लिए है क्या ?
वही बात मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के भले की. अभी संपन्न ईद के लिए कुछ मुस्लिम महिलाओं ने मेहंदी लगाने वाले रस्ते पर बैठे एक दुकानदार से मेहंदी लगाने वाले को अपने हाथों पर चांद का चित्र निकालने के लिए कहां तो उस दुकानदार ने साफ मना कर दिया. और उपरसे बोला कि हम चांद- वांद नही बनाएंगे. रस्ते के किनारे पर बैठ कर मेहंदी लगाने वाले तक यह जहर पहुंच गया है .


वैसे ही गुजरात के दंगे मे सुरत से लेकर विभिन्न जगहों पर हुए महिलाओं के उपर किए गए अत्याचार क्या मुस्लिम महिलाओं की भलाई के लिए किए गए थे ? और अदालत ने उन बलात्कारियों को जो आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उसे हमारे देश की आजादी के पचहत्तर साल की आड़ में रेमिसन पॉलिसी का आधार लेकर सरकारने छोडने का फैसला भी मुस्लिम महिलाओं की भलाई के लिए ही लिया गया था ? और उन अपराधियों को जेल से बाहर आने के बाद जगह – जगह उनके सत्कार समारोह कही- कही तो हिंदु महिलाओं के द्वारा उनकी आरती उतारने का तथा मिठाईयाँ बांटने का कार्यक्रम भी मुस्लिम महिलाओं की भलाई के लिए किया गया था ?
मै मेरे जीवन के शुरुआती दौर में आर एस एस की शाखा में गया हूँ . आज उस बात को 60 वर्ष का समय हो गया है. लेकिन मुझे आज भी याद है कि वहाँ आने वाले बच्चों को किस तरह मुसलमानों के खिलाफ झुठे किस्से तथा मुस्लिम शासकों के समय की बातों को मिर्च – मसाले लगाकर बताना के लिए खेल गीतों से लेकर तथाकथित बौध्दिक के द्वारा घुट्टी मे पिलाया जाता है . आज तीनसौ सालों के बाद औरंगजेब की समाधी का विवाद उसी जहरीले प्रचार- प्रसार करने का नतीज़ा है . क्या यह भी मुस्लिम समुदाय के लोगों के भले के लिए ही किया जा रहा है ?


इस देश में दर्जनों आक्रमणकारियों ने आक्रमण किया है. और उनमे से कुछ ने कुछ समय तक राज भी किया था . रहा सवाल मुस्लिम आक्रमणकारियों का जिन्हें भारत में इस्लाम धर्म को फैलाने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है . 712 इसवी शताब्दी मतलब इस्लाम धर्म के उदय का समय है. पहले आक्रमणकारियों मे मोहम्मद बीन कासीम जो इराक के राज्यपाल का दामाद था, उसने सबसे पहले सिंध प्रांत को कब्जे में कीया था . 1857 मे आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर मतलब एक हजार साल से ज्यादा समय तक इस देश में अलग – अलग मुस्लिम बादशाह राज करते रहे. और उनमे कुछ स्थानीय लोगों पर जुल्म करने का भी इतिहास है. इसमे कोई शक नहीं है . लेकिन उनके सत्ता के दौरान दो तरह के लोगों ने इस्लाम धर्म अपना लिया उसमे एक तबका पसमांदाओ मतलब मनुस्मृति के अनुसार शुद्रों का है. जिसने जातीव्यवस्था से तंग आकर इस्लाम धर्म को अपना लिया और दुसरे लोगों जो ऊंची जाति के थे उन्होंने आये हुए सत्ताधारियों के दरबार में कुछ पदाधिकारी बनने की लालसा में इस्लाम धर्म को अपना लिया. ( स्वामी विवेकानंद ) कही – कही अति उत्साहित मुस्लिम सत्ताधारियों ने जोर जबरदस्ती भी की है. इसमे कोई शक नहीं. लेकिन एक हजार साल से ज्यादा सत्ताधारी रहे मुस्लिम बादशाह सचमुच ही भारत को इस्लामिक देश बनाने के लिए पर्याप्त समय था. लेकिन हजारों साल के इतिहास को टटोलने से यही दिखाई देता है कि भारत में कभी भी मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या पंद्रह प्रतिशत से अधिक नहीं रही. जो आज भी विद्यमान है . वोट की राजनीति के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए आर एस एस पिछले सौ साल से यह कोशिश कर रहा है . और उसके बदौलत आज भाजपा सत्ताधारी दल बनने के बाद पूरी तरह से भारत को आर एस एस के सपनों का हिंदु राष्ट्र बनाने के लिए ही मंदिर – मस्जिदों के विवाद और मुस्लिम समुदाय के लोगों को कानूनी रूप से कमजोर करने के लिए संसद में विभिन्न प्रकार के बिलो को पास करने की कवायद कर रहा है . जिसका सबसे ताजा उदाहरण वक्फ़ बिल है . और इसके बाद नागरिकता के नाम पर एन आर सी का नंबर है .


लेकिन मेरे जैसे राष्ट्र सेवा दल के संस्कारों मे पले बढे आदमी को लग रहा है कि भारत की एकता और अखंडता खतरे में डालने का काम हो रहा है. क्योंकि जिस बटवारे को लेकर संघ और भाजपा के लोग छाती पिटने का काम करते हैं. मुझे रह – रहकर हैरानी होती है कि जब भारत की कुल जनसंख्या चालिस करोड से कम थी, उस समय बटवारे की नौबत क्यों आई थी ? तो अभी भारत दुनिया का सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश बन गया है. और उसमे मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या बीस से पच्चीस करोड मतलब दुनिया के किसी भी मुस्लिम देशों से भी अधिक जनसंख्या के रहते हुए, अगर भारत में रह रहे मुस्लिम समुदाय को दिन-प्रतिदिन असुरक्षित मानसिकता मे डालना मतलब भारत की एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ करना चल रहा है. अगर यह सब तुरंत बंद नहीं हुआ तो क्या हमारे देश को और बटवारे के तरफ ले जाने का राष्ट्रद्रोही काम नहीं हो रहा है क्या ?

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