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यह तो होना ही था ! | Pavitra India

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आज बंगला सांस्कृतिक मंच के द्वारा बंगाल के तमिलनाडु में गए प्रवासी मजदूरों के उपर हो रहे हमलों की निंदा का प्रस्ताव देखा !
उसी तरह से बिहार के समाजवादी नेता शिवानंद तीवारीजी की फेसबुक पोस्ट देखी जिसमें उन्होंने बिहारी मजदूरों के उपर हो रहे हमलों के बारे में चिंता व्यक्त की है !
बंगाल सांस्कृतिक मंच के भी साथी मेरे मित्र है और शिवानंदजी भी ! दोनों सिर्फ अपने – अपने प्रदेश के लोगों के उपर हो रहे हमलों के बारे में चिंतित है !
और मै एक जन्मना मराठी जो आजसे साठ साल पहले मतलब महाराष्ट्र राज्य की भाषा के आधार पर अलग निर्मिती होने के पस्चात (1मई 1960) सबसे पहले मुंबई में शिवसेना नाम का संगठन शुध्द मराठी भाषी लोगों की समस्याओं को लेकर शुरुआत की गई थी ! और गैर मराठी मे सबसे पहले दक्षिण भारत के लोगों के खिलाफ शारीरिक हमले ! और उनके दुकानों को तोड़ने से लेकर ! दक्षिण भारत की भाषाओं को लेकर, अपमानजनक टिप्पणीया करने का सिलसिला  ! शायद हमारे आजादी के बाद पहली बार भारत के किसी प्रदेशों में शुरू हुआ जो मेरे महाराष्ट्र में ! उसी तरह पहली राजनीतिक हत्या कॉम्रेड कृष्णा की हत्या मुंबई के मज़दूरों की लड़ाई में हुई है ! जिससे मै लज्जित हूँ ! जिसे तत्कालीन काँग्रेस ने समाजवादी और कम्युनिस्टों के प्रभाव को कमजोर करने के लिये ! खुब इस्तेमाल किया ! उल्टा औद्योगिक क्षेत्र मे कामगारों की युनियनोमे जहां समाजवादी या कम्युनिस्ट प्रभाव रखते थे ! वहां कामगार सेना बनाने के लिए ! कारखानों के मालिकों ने और सरकार का सहयोग रहा है ! और समाजवादी और कम्युनिस्टों की युनियनो की जगह कामगार सेना जैसे लुंपेन को बढ़ावा दिया ! इस तरह शिवसेना जो सबसे पहले भाषा के आधार पर शुरू किए संगठन ने, उग्र हिंदुत्व की राजनीति करना शुरू किया !
और इसी महाराष्ट्र के नागपुर में ! चंद महाराष्ट्रियन ब्राम्हणो के द्वारा ! शायद पेशवाई खत्म होने के कारण ! (1925 में) घोर हिंदूसांप्रदायिक संघठन ! राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की, और हिंदू महासभा की, स्थापना की जाती है ! और उसी जहरीले प्रचार – प्रसार के कारण ! तेईस साल के भीतर ! एक स्वंय सेवक और उसके कुछ साथियों ने मिलकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की है ! और आज भारत अघोषित हिंदूत्ववादी राष्ट्रवाद की आग में जल रहा है ! उसके लिए भी मराठी बुद्धि की देन है ! और इसीलिये एक मराठी होने के नाते ! मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होती हैं ! “कि हमारी संस्कार शाला राष्ट्र सेवा दल होने के बावजूद ! और सानेगुरुजी की,वैश्विक स्तर पर की प्रार्थना ! जो कि यूएनओ की होनी चाहिए “सच्चा धर्म वहीं है ! जो दुनिया को प्रेम करने का” संदेश देने वाली प्रार्थनाको गाते हुए बड़े हुए हैं ! लेकिन शिवसेना और आर. एस. एस. को रोकने मे ! हम सभी प्रगतिशील विचारों के लोग, असफल रहे हैं ! यह वास्तव स्वीकार करता हूँ !
और वर्तमान समय में भारत के विभिन्न हिस्सों में ! कहीं भूमिपुत्र के नाम पर ! तो कहीं खलिस्तान के नाम पर ! कम- अधिक प्रमाण में भारत के विभिन्न हिस्सों में लगातार असंतोष में बढ़ोतरी हो रही है !
इसका सबसे प्रमुख कारण आजादी के पचहत्तर साल के बावजूद ! संपूर्ण देश में, विषमता कम होने की जगह बढने का प्रमाण ज्यादा है ! हां कुछ चंद धन्नासेठों के तिजोरीया बेतहाशा भर रही हैं ! लेकिन सर्वसाधारण नागरिकों के जीवन में ! विषमता के कारण हताशा ! और उस हताशा में वह शत्रु के रूप में आसान टार्गेट देखता है ! जो साठ के दशक में ! महाराष्ट्र में गैर मराठी भाषी लोगों को शत्रुओं की जगह डालने से ! तत्कालीन सरकारों के अकर्मण्यता की बात छुप गई ! और इसीलिये सरकारने शिवसेना को हर तरह से मदद की है ! और आज हिंदू – मुस्लिम ध्रुवीकरण करना बदस्तूर जारी है ! उत्तर भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के घरों पर ! बुलडोजर चढा कर ! नष्ट करने की कृती ! उसी बात का परिचायक है ! भारत के कौन से कानून के अनुसार, यह सब जारी है ?
जर्मनी में नब्बे साल पहले प्रथम विश्वयुद्ध के अपमानजनक हार के कारण !मानसिक और शारीरिक रूप से, जख्मी सर्वसाधारण जर्मनी के लोगों को भड़काने के लिए ! हिटलर ने यहुदीयो को जिम्मेदार ठहराया ! और उस समय विश्व के सबसे बेहतरीन दिल – दिमाग वाले लोग ! अल्बर्ट आईनस्टाईन, शूमाखर, सिंग्मंड फ्राईड,जॉर्ज बर्नार्ड शॉ, हेराल्ड लास्कि, एरिक फ्रॉम, रोमा रोला, सिमॉन द बोआर, जॉंपॉल सात्र, ऑर्थर कोस्लर, रोदा, पर्ल बक,जॉर्ज अॉरवेल, रवींद्रनाथ टागोर, महात्मा गाँधी जैसे लेखक, पत्रकार, कवी, नाटककार, वैज्ञानिक ! तथा विश्व के इतिहास के सबसे बेहतरीन प्रतिभा के धनी लोगों की उपस्थिति में ! एक गैर मामुली जर्मनी की फौज का सिपाही !(जिसे जर्मनी में कार्पोलर कहा जाता है !) जर्मनी के लोगों की प्रथम विश्व युद्ध की हार के कारण ! अपमानजनक संधियों पर हस्ताक्षर करने की वजह से ! अपमानित मानसिकता का फायदा उठाकर ! उसे एक वंशश्रेष्ठत्व का मुलम्मा चढाकर ! समस्त विश्व की छाती पर मूंग दलने में, कम-से-कम पच्चिस साल तक कामयाब रहा हैं ! और उसे जर्मनी के औद्योगिक और आर्थिक तथा बौध्दिक जगत के लोगों का पूरा समर्थन था ! उन्होंने उसे बनाने के लिए अपने संपत्ति की थैलियों को खोल दिया था ! और तथाकथित बुद्धिजीवियों ने मौन धारण कर लिया था ! जैसे आजकल हमारे देश में भी चल रहा हैं !
यह सब लिखने का कारण ! आज भारत में तथाकथित उग्रहिंदूराष्ट्रवाद की हिमायती ! बीजेपी की हिंदूत्ववादी राजनीतिके कारण, कहीं सिख पहचान की राजनीति का ! या कहीं द्रविड़ या, फिर उत्तर पूर्व या आदिवासीयो तथा दलितों से लेकर बहुजन समाज में अपनी – अपनी पहचान की शुरुआत होना स्वाभाविक है !
मै आपातकाल में जेल में ! संघी बंदियों के साथ बातचीत में ! यह बात बार – बार बोला हूँ “कि आप की हिंदूत्ववादी राष्ट्र की अवधारणा, इस देश की जाति-व्यवस्था के कारण ! जब आहिस्ता – आहिस्ता अन्य जातियों को भी अपनी पहचान होने की शुरुआत होगी ! तब देखना भारत में जबरदस्त संक्रमण शुरू होगा ! क्योंकि कोई भी व्यक्ति या समूह बहुत लंबे समय तक अज्ञानी या अवचेतना की स्थिति में ज्यादा समय तक नहीं रह सकता ! ” तब हिंदू राष्ट्रवाद के कितने टुकड़े होंगे ? तुम लोग गिन नहीं पाओगे !”


हालांकि अभी तमिलनाडु में हो रहे हमलों के पिछे ! मुझे संशय है, कि संघ के लोग कुछ भी कर सकते हैं ! कही जानबूझकर दक्षिण भारत में अपनी राजनीतिक स्थिति बनाने के लिए ! भी वह दक्षिण की द्रविड़ पार्टियों को निचा दिखाने के लिए ! कही के झगड़े कही और ! दिखाने का तकनीक, डिजिटल सैफ्रोन आर्मी की मदद से ! जब अफगानिस्तान, सिरिया या किसी अन्य देश की घटनाओं की लिंक ! भारत में विरोधी दलों की सत्ता वाले प्रदेशों की बदनामी करने के लिए दिखाना ने का काम करेंगी भी कर सकते हैं !
और जिस – जिस प्रदेश के लोगों के उपर हमले हो रहे हैं ! वहाँ के स्थानीय लोगों की सहानुभूति पाने के लिए ! कुछ भी कर सकते हैं ! क्योंकि बीजेपी के पास आने वाले लोकसभा और कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों में ! लोगों के पास जाने के लिए कोई मुद्दा नहीं है ! महंगाई, बेरोजगारी, अदानी जैसे औद्योगिक टायकून को ! सब नियम कानून ताक पर रखकर ! अमिर बनाने की घटना ! लगभग भारत के सभी प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों को सौंपा जाना ! ( जल, जंगल और जमीन ) विश्व के औद्योगिक इतिहास में पहली बार ! किसी सरकार के तरफसे एक उद्योगपति को ! आखें बंद कर के फेवर करने के कारण ! वर्तमान सत्ताधारी दल को लोगों के सामने जाने के लिए ! उन्हें आपस में लडाने के सिवाय कोई दूसरा उपाय नहीं है !


हालांकि बंगाल हो या बिहार, ओरिसा तथा उत्तर प्रदेश आजादी के पचहत्तर साल के बाद भी ! अपने प्रदेश में भारत की सबसे बड़ी नदियों ! और उनके हजारों वर्ष के गाद के कारण ! भारत के अन्य प्रांतों की जमीन की तुलना में ! अधिक सुजलाम – सुफलाम होने के बावजूद ! वहां की काफी बडी आबादी को कामकी तलाश में ! दर- दर की ठोकरें खाने के लिए ! भारत के सभी क्षेत्रों में जाना पड़ रहा है ! जो कि सभी लोग बहुत ही मेहनत करने वाले और हुनरमंद है ! यह उन प्रदेश में राज करने वाले लोगों की अकर्मण्यता का लक्षण है ! मैं पिछले दिनों समस्तीपुर से नागपुर आ रहा था ! मेरी ट्रेन का नाम ही ‘श्रमिक एक्सप्रेस था !’ और समस्तीपुर से एक स्टेशन पहले बरौनी से छुटनेवाली ट्रेन ! समस्तीपुर आने तक, एसी से लेकर सभी डिब्बों में मजदूरों से खचाखच भरी हुई थी ! और वह गाड़ी कन्याकुमारी से एक स्टेशन पहले तक जा रही थी ! और मुझे छोड़कर सभी प्रवासी दक्षिणी प्रदेश के विभिन्न स्थानों में ! काम करने के लिए, जाने वाले थे !
वहीं बात कुछ समय पहले, बंगाल के बर्धमान जिला मे ! सिमुलिया नाम के दस हजार जनसंख्या के गांव में ! जाने का मौका मिला था ! तो चाय की दुकान पर, अड्डा में बैठ कर, बातचीत में गांववासियों ने, “कहा कि हमारे गाँव की जनसंख्या दस हजार है ! और एक हज़ार से अधिक युवा दक्षिणी राज्यों में काम करने के लिए गए हुए हैं !” बर्धमान जिला बंगाल का चावल का कटोरा के रूप में मशहूर है ! आमार शोनार बंगला !!!!!!!!
डॉ सुरेश खैरनार, 3 मार्च 2023, नागपुर

 

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