पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रविवार को ‘भारत का एक और दुश्मन’ निपटा दिया गया। यह था लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का प्रमुख आतंकवादी और 2006 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय पर हुए हमले का मास्टरमाइंड अबू सैफुल्लाह खालिद, जिसे रजाउल्लाह निजामनी खालिद के नाम से भी जाना जाता था। उसकी हत्या को मोदी सरकार की सक्रिय नीति का नतीजा माना जा रहा है। सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की धरती से सक्रिय आतंकवादियों से निपटने की नीति में लगभग 30 साल बाद बदलाव आया है। 1989 के बाद से लगातार सरकारों ने पाकिस्तान की धरती से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे से निपटने का न कष्ट किया और न ही परवाह की। हालांकि वाजपेयी सरकार ने सक्रिय दृष्टिकोण की घोषणा की थी, लेकिन राजनीतिक प्रबंधन के कारण कुछ भी ठोस कदम नहीं उठाए जा सके क्योंकि उसके पास बहुमत नहीं था। यहां तक कि कांग्रेस की यूपीए सरकार ने भी अपने दस साल के कार्यकाल के दौरान ऐसी किसी नीति पर चलने की हिम्मत नहीं दिखाई।
सैफुल्लाह की हत्या से पहले, भारत के सबसे वांछित आतंकवादी अबू क़ताल, जिसे हाफ़िज़ सईद का करीबी सहयोगी माना जाता था, को इस साल 16 मार्च को पाकिस्तान में ‘एक अज्ञात हमलावर’ ने मार गिराया था। 2020 से पाकिस्तान में ऐसे 20 आतंकियों को उनके असली अंजाम तक पहुंचा दिया गया है और इनका श्रेय भारतीय एजेंसियों को दिया जा रहा है। 24 अप्रैल को पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान कि ‘भारत हर आतंकवादी और उनके आकाओं को कड़ी सजा देगा, चाहे वे कहीं भी छिपे हों,’ भी इस तरह के सक्रिय दृष्टिकोण का संकेत देता है। रिपोर्टों के अनुसार, 2019 में पाकिस्तान की धरती से पनपने वाले आतंकियों द्वारा पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में इन आतंकवादियों का सफाया तेजी से शुरू हो गया। पाकिस्तान के अंदर ही स्थानीय अपराधियों या अफ़गानों, बलूचिस्तान और सिंध प्रांत के विद्रोहियों को ‘काम पर रखकर’ इन आतंकवादियों का सफाया कराया जा रहा है।
सैफ से पहले, जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को वित्तपोषित करने वाले एक अन्य प्रमुख ऑपरेटिव मोहम्मद रियाज अहमद को सितंबर 2023 में पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर की एक मस्जिद में नमाज़ पढ़ते समय गोली मार दी गई थी। पश्चिमी मीडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सैयद खालिद रजा नामक एक आतंकवादी को फरवरी 2023 में पाकिस्तान में मार दिया गया था। इसी तरह, 2016 में भारतीय वायु सेना स्टेशन पर हमला करने के आरोपी आतंकी शाहिद लतीफ का भी यही हश्र हुआ। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान में इस तरह के गुप्त ऑपरेशन अपराधियों, असंतुष्टों और उनके हितधारक समूहों द्वारा किए जा रहे हैं, जिन्हें एजेंसियों द्वारा ‘फीस देकर’ काम पर रखा गया है।
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