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प्रधानमंत्री जी से सीधी बात | Pavitra India

15 अगस्त को लाल किले से दिए गए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के भाषण की न्यूज़ चैनलों पर बहुत तारीफ हो रही है लेकिन सोशल मीडिया पर एक वर्ग उन पर काफी सवाल उठा रहा है.। मेरा उद्देश्य सवाल उठाना नहीं है मेरा उद्देश्य आदरणीय प्रधानमंत्री जी से निवेदन करना है ताकि वह अगर आने वाले समय में साथ में अपने किसी भाषण से उनका और ज्यादा स्पष्टीकरण कर सके तो देश में उनकी और प्रशंसा होगी।

जब लोकसभा में कोई मंत्री बोलता है तो उसे संसद की कार्यवाही का हिस्सा माना जाता है और आश्वासन समिति उसकी निगरानी रखती है, लेकिन जब लाल किले से देश के प्रधानमंत्री देश को संबोधन देते हैं तो यह देश के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिज्ञा बन जाती है। जितना महत्वपूर्ण लोकसभा में बोलना होता है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण लाल किले से 15 अगस्त को देश के प्रति संबोधित करना होता है। मैं प्रधानमंत्री जी से यह आग्रह करता हूं कि इस बार उन्होंने 16वीं बार बार लाल किले से देश को संबोधित किया है। अब उन्हें देश के सामने लाल किले से दिए गए सारे संबोधनों को पुस्तक रूप में प्रकाशित करने का आदेश अपनी सरकार को देना चाहिए और उसे देश के लोगों को उपलब्ध कराना चाहिए। इससे सारे देश को पहली बार से लेकर के अब तक लाल किले से दिए गए भाषणों के रूप में एक निरंतर प्रगति की यात्रा का एक जगह ज्ञान मिल जाएगा।

मेरा आदरणीय प्रधानमंत्री श्री जी से यह भी आग्रह है कि अच्छा होता यदि वे अपने हर भाषण में प्रारंभ के 10 मिनट में यह बताते की पिछली बार जो उन्होंने घोषणाएं की, उनमें से कितनी 100%, कितनी 80%, कितनी 50%, कितनी 20% और कितनी शून्य प्रतिशत अमल में लाई गई..अब अपने प्रिय प्रधानमंत्री से यह निवेदन कर रहा हूं कि आपने इस बार के लाल किले से संबोधन में देश को महत्वपूर्ण जानकारी दी कि देश का ही नहीं विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन है ,जिसे आपने ए.न.जी.ओ. कहा । आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपके द्वारा कहे गए विश्व के सबसे बड़े ए.न.जी.ओ. का अनुकरण देश के हर सेवा क्षेत्र में काम कर रहे संगठन को करना चाहिए. उसे अब रजिस्ट्रेशन करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए, किसी को भी हिसाब किताब देने की जरूरत नहीं होनी चाहिए, और आपने जितनी निगरानी संस्थाएं बनाई है, इनकम टैक्स से लेकर ट्रस्ट और रजिस्ट्रार आफ सोसाइटी को उन्हें कोई रिपोर्ट देने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसका आपने गर्व से जिक्र किया वह यह नहीं करता ।मैं इसका यही अर्थ निकाल रहा हूं। आशा है मेरे इस अर्थ निकालने का आप समर्थन करेंगे।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपने इस बार घुसपैठियों को लेकर बहुत महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया, बताया कि घुसपैठिये किस वजह से आ रहे हैं और वह देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री जी 15 साल से तो देश में आप ही प्रधानमंत्री हैं, श्री अमित शाह गृहमंत्री हैं, श्री अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं, सेनाध्यक्ष भी आप चुनते हैं रक्षा मंत्री भी आप चुनते हैं तो यह कौन तकते हैं जो आपसे ज्यादा ताकतवर हैं और देश में घुसपैठियों के आने का रास्ता प्रशस्त कर रही है। इसने देश में मेरे जैसे बहुत सारे लोगों को डरा दिया है, लग रहा है , कोई शक्ति है, जो आपसे भी ज्यादा ताकतवर है और आपको काम नहीं करने दे रही है और आपकी सारी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसीज को पंगु बना दे रही है। इस स्थिति पर तो सोचना और कार्य करना सिर्फ आपके ही कार्य क्षेत्र में आता है।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपने जब ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया तो सारे देश का माथा गर्व से और ऊंचा हो गया। हमने अपनी समझदारी अपनी शक्ति और निर्णय लेने की अपनी क्षमता की झलक सारे विश्व को दिखा दी । लेकिन कुछ सवाल है जिनका उत्तर अभी तक हमें नहीं मिला और क्योंकि इन सवालों के भीतर देश की सुरक्षा के सवाल छिपे है, इसलिए आपसे पूछने का साहस दिखा रहे हैं..
पहला गांव में ऑपरेशन सिंदूर के तत्काल बाद कश्मीर सरकार या भारत सरकार ने तीन आतंकवादियों के चित्र जारी किए थे, देश की जनता उन तीनों चित्रों से मिलते जुलते लोगों को तलाश रही थी कि कहीं दिख जाए तो उन्हें पड़कर सुरक्षा बलों के हवाले कर दें। लेकिन लगभग 20 दिनों के बाद जब एन.आई.ए. मैं यह घोषणा की यह तीनों फोटो गलत है, यह वह आतंकवादी नहीं है यह उन्हें पहल गांव में लोगों का धर्म पूछ कर हत्या की थी, तो सारा देश सकते में आ गया । जब गृहमंत्री अमित शाह संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर अपना वक्तव्य दे रहे थे इस समय यह जानकारी मिली की सुरक्षा बलों ने तीन आतंकवादियों को मार गिराया है जिन्होंने पहलगांव में यह क्रूरतापूर्ण हत्याकांड किया था।

पर दिमाग में सवाल यह है कि वह कौन लोग थे, वह कौन संगठन था, या कौन शक्ति थी जिसने तीन गलत लोगों के चित्र सारे देश में प्रसारित किए थे और जिनके चित्र पोस्टर पर लगाए गए थे। सारे देश को यह पता चलना चाहिए की क्या ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई, क्या उनकी जिम्मेदारी तय हुई और उन्हें कोई सजा दी गई। देश को इसकी जानकारी इसलिए देनी चाहिए ताकि देश यह ना समझे कि हमारे यहां कोई भी गलती करके बच सकता है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी, पुलवामा में हुए सैनिकों की कायरता पूर्ण हत्या में एक नाम जम्मू कश्मीर के एक डीएसपी का आया था, इसलिए गिरफ्तार किया गया था कि 300 किलो आरडीएक्स अपनी एंबेसडर में लेकर वह पाकिस्तान की सीमा से पुलगांमा तक लेकर के आया था… हम जानकारी ले रहे हैं लेकिन हमें कोई जानकारी नहीं मिल रही है । उसे सजा मिली वह जेल में है या फिर से जम्मू कश्मीर की पुलिस की सेवा कर रहा है और उसके दोष माफ कर दिए गए। उसे गिरफ्तार भी भारतीय सुरक्षा बलों ने किया था। इसलिए मैं यह निवेदन कर रहा हूं किएक बार अपने किसी मंत्री या अधिकारी को यह आदेश अवश्य दीजिए कि वह देश को बताएं की इन दोनों सवालों का क्या उत्तर है। यह दोनों चुके देश की सुरक्षा से जुड़ी है। इसलिए हमें जानने का हक तो है ही। यह सवाल ऐसे हैं जिनकी अगर जानकारी देश को मिलेगी तो इससे देश की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं होगा बल्कि देश को विश्वास होगा कि जो गलती करता है उसे भारत सरकार कभी माफ नहीं करती ।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपने इस बार बहुत जोर देकर कहा की कुछ शक्तियां हैं जो सीमा क्षेत्र की डेमोग्राफी बदल रही है. आपने यहां भी सोची समझी साजिश का जिक्र किया, और कहां कि वे हमारी बहन बेटियों को निशाना बना रही है, आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रही है,। इसमें भी मेरे जैसे लोगों को डरा दिया। मैं फिर आपसे निवेदन करूंगा की 2014 के बाद से लेकर आप ही हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं, आपकी ही सरकार है, आपका ही चुनी हुई नौकरशाही का तंत्र है, अधिकांश प्रदेशों में आपके ही दल के मुख्यमंत्री हैं, फिर भी यह डेमोग्राफी कैसे बदल रही है। आपके खुफिया तंत्र ने या राज्यों के खुफिया तंत्र ने पिछले 15सालों में आपको अवश्य की जानकारी दी होगी, आपने भी इस पर ध्यान देकर कार्रवाई करने की कोशिश की होगी तो कौन सी ताकत है जिसने आपकी इस कोशिश को नाकाम कर दिया, और आपको लाल किले से खड़े होकर देश के सामने इस समस्या का जिक्र करने के लिए मजबूर कर दिया। देश की जनता इस सवाल के ऊपर कुछ नहीं कर सकती इसके ऊपर तो सिर्फ आप और आपकी सरकार को कम करना है और आपको भी तत्काल इसकी जिम्मेदारी तय करनी चाहिए और उन लोगों को सरकार से और प्रशासन से हटना चाहिए जो आपको चिंता ग्रस्त कर रही है और जो इस समस्या के लिए जिम्मेदार हैं। बहन बेटियों की की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनके परिवार की और उनके समाज की है, मेरा यह निश्चित मानना है कि आपके कहने का मतलब यह नहीं है कि उनके परिवार और समाज अपनी यह जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है। अब प्रश्न होता है कि घुसपैठिये कौन है? क्या यह मुस्लिम समाज से हैं, यह क्रिश्चियन समाज से हैं, या यह मंगोल वगैरा हैं। इस देश में 85% हिंदू समाज के लोग हैं, शायद आपकी चेतावनी हिंदू समाज के लोगों के लिए है कि वह लोग अपनी बहन बेटियों की सही ढंग से देखभाल नहीं करते, अन्यथा कोई उनकी बहन बेटियों को निशान नहीं बन सकता। हिंदू समाज के लोगों की एक सामाजिक सेना बनाई जाय जो अपनी बहन बेटियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाए। आप इसके लिए हिंदू समाज के लोगों से, या हिंदुओं के सबसे बड़े संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से यह अपील कीजिए कि वह इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए आगे बढ़े।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी, आदिवासियों की जमीन कौन छीन रहा है इसका स्पष्टीकरण होना चाहिए और उन राज्य सरकारों को बर्खास्त करना चाहिए जिनकी नाक के नीचे आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है। आदिवासी और वंचित वर्ग के लोग किसी भी देश के प्रधानमंत्री की प्राथमिक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होते हैं। मेरी यह कहने की हिम्मत नहीं है कि आप इसके जिम्मेदार हैं पर मैं इतना तो कह सकता हूं कि आप उन लोगों के ऊपर सख्त कार्रवाई कीजिए जो आदिवासियों की जमीन छीनने वाले, ठेकेदारो , विकास के नाम पर चलने वाली कंपनियां और आदिवासियों के जंगल और जमीन चीन की साजिश करने वाले बड़े उद्योगपतियों को चिन्हित करें और उन्हें सजा दें।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपने कई बार कहा की ऐसी शक्तियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है तो मेरे जैसा साधारण इंसान इस वाक्य से घबरा जाता है कि अगर प्रधानमंत्री कहें कि कुछ शक्तियां है जिससे देश की सुरक्षा के लिए खतरा है, तो उन शक्तियों को पहचानने की जिम्मेदारी और उन्हें समाप्त करने की जिम्मेदारी किसकी है, अगर प्रधानमंत्री जी की जिम्मेदारी नहीं है तो प्रिय प्रधानमंत्री जी फिर यह किसकी जिम्मेदारी है।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी अपने जीएसटी को लेकर एक बड़ी घोषणा की की दिवाली पर वस्तुएं सस्ती हो जाएगी और जीएसटी में बहुत बड़ा सुधार होगा। इसने देश में खुशी की लहर पैदा कर दी लेकिन मेरे मन में एक छोटी शंका है कि जिस तरह से भारतीय दंड संहिता मैं सुधार हुआ और वह नहीं बनाई गई उसने देश में एक अनिश्चय का वातावरण पैदा कर दिया है। क्योंकि ना न्यायाधीशों को, ना ही वकीलों को और ना ही पुलिस वालों को इन कानून का ज्ञान है। इसलिए जब कोई पुलिस स्टेशन में शिकायत लिखाने जाता है तो वह शिकायत किस धारा में लिखवाये ?? नए कानून आसान होने चाहिए लेकिन उन्होंने आम जनता की जिंदगी कष्ट मय बना दी है। यही इनकम टैक्स के कानून का हाल है जो सरल और टैक्स देने वाले के लिए आसान होना चाहिए वह और तकलीफ देने वाला चार्टर्ड अकाउंटेंट का उसे गुलाम बनाने के काम आ रहा है। इसीलिए डर है कि जीएसटी में कहीं ऐसा सुधार न हो जाए जो आंकड़ों की बाजीगरी के जरिए लोगों की जिंदगी को और दुश्वार बना दे। हालांकि ऐसा लग रहा है की राष्ट्रपति ट्रंप की घोषणा की वजह से भारत की जो आर्थिक स्थिति है उसमें उपभोक्ता की जेब में कुछ पैसा आए ताकि वह कुछ सामान खरीद सके, शायद इसके लिए जीएसटी में सुधारो की घोषणा अपने की है। यह स्वागत योग्य है, लेकिन जिन वस्तुओं की सूची अखबारों में छपी है वह मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग के काम की है। निम्न मध्यम वर्ग के लिए कोई फायदा नहीं है जबकि जीएसटी गरीब से गरीब आदमी देता है क्योंकि दुकानदार जो सामान बेचता है हर सामान पर जीएसटी लगाकर वह उपभोक्ता को देता है, और उपभोक्ता हजार रुपए महीने कमाने वाला और 10 लख रुपए महीने कमाने वाला दोनों होते हैं, दोनों जीएसटी के हिसाब से सरकार को टैक्स देते हैं। एक रिक्शे वाला भी जीएसटी देता है और एक मर्सिडीज़ वाला भी जीएसटी देता है। देखना यह है की रिक्शे वाले के लिए जीएसटी का कोई फायदा होता है कि नहीं होता है जिस वर्ग के 80% लोग हमारे देश में है। आपका ध्यान इस समस्या की तरफ जाए इसलिए मैं यह निवेदन कर रहा हूं।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी पूरा देश आपसे राष्ट्रपति ट्रंप के उस वक्तव्य का उत्तर सुनना चाहता था जिसका आपने 15 अगस्त के भाषण में सिरे से नहीं दिया। राष्ट्रपति ट्रंप ने बार-बार कहां कि उन्होंने युद्ध रुकवाया है , उनकी वजह से युद्ध रुका है और आज तो उन्होंने कह दिया कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। हमारी सरकार इस पर चुप है, इसका अर्थ है कि अब हम महंगा तेल और गैस अमेरिका से खरीदेंगे और हमारी जिंदगी शायद और परेशानियों से भर जाएगी। प्रिय प्रधानमंत्री जी अगर आप 15 अगस्त को लाल किले से राष्ट्रपति ट्रंप का नाम लेकर सिर्फ कह देते कि मैं उनके किसी भी वक्तव्य से विशेष सहमत नहीं हूं तो यह देश आपको महानायक की तरह देखता। इसी तरह से देश चाहता था कि लाल किले से आप चीन को भी साफ-साफ कहते कि वह हमारी सीमा से हट जाए और उसने जो लद्दाख और अरुणाचल में जमीन कब्जा कर अपनी चौकिया बना ली है या इमारतें बना ली है उन्हें खाली कर दे, अन्यथा हम भी चीन का सामान खरीदना बंद कर देंगे। लेकिन सुनने में यह आ रहा है कि आपकी आर्थिक सलाहकारों ने आपको आपको सलाह दी है कि भारत सरकार को चीन से डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट देने की अनुमति देनी चाहिए। लोकसभा में तो आपके ही सांसद ने यह वक्तव्य दिया था कि किस तरीके से लद्दाख में चीन ने जमीन पर कब्जा कर लिया है, भारत के सारे अखबार कई बार इसके ऊपर रिपोर्ट कर चुके हैं।

वैसे प्रधानमंत्री जी हमारी जानकारी रहती है कि हमारा सारा कम्युनिकेशन सिस्टम हमारे सारे सर्वर बगिग सिस्टम लगे, चीन के दिए हुए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर पर चल रहा है। चीन ने हर सॉफ्टवेयर में बगिग यंत्र लगा रखे हैं, इसलिए हमारी कोई भी जानकारी हमारे पास सुरक्षित नहीं है, हर जानकारी चीन के पास है, वहां से यह पाकिस्तान जाती है और वहां से सी.आई.एक. के पास अमेरिका जाती है। हमने चौथी दुनिया में एक कवर स्टोरी की थी जिसमें डिफेंस मिनिस्ट्री ने अपने सारे अधिकारियों से कहा था कि वह कोई भी स्मार्टफोन अपने इस्तेमाल में ना लाएं, और विशेष कर चीन से बने हुए किसी भी फोन का इस्तेमाल न करें। लेकिन अफसोस कि ना सेना के अफसरो ने इस पर ध्यान दिया और ना जवानों ने।। अभी भी हमारी सेना के अफसरों और जवानों के हाथ में आपको चीन के बने फोन दिखाई दे जाएंगे।

प्रधानमंत्री जी पाकिस्तान हमारे लिए खतरा नहीं है, हमारे लिए खतरा हमारे ताकतवर पड़ोसी देश हैं, और ताकतवर पड़ोसी देशों में एक ही देश है जिसके साथ या तो हमें पूरी दोस्ती करनी चाहिए या फिर पूरी दुश्मनी। चीन एक विश्व ताकत बन रहा है, या तो हम उसके मुकाबले विश्व शक्ति बने या फिर उसके सच्चे मित्र बने। अमेरिका की पुलिस चौकी अगर हम बनेंगे तो शायद हम अपने देश को हमेशा के लिए असुरक्षित बना देंगे। रूस की दोस्ती तो हम शायद को ही चुके हैं।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी यह सारे निवेदन इस महान देश के नागरिक होने के नाते जिसके आप भी नागरिक हैं, मैं यह निवेदन कर रहा हूं। आप इस पर कितना ध्यान देते हैं नहीं देते हैं यह आपका विवेक पर है, इस देश के नागरिक के नाते और एक पत्रकार होने के नाते मैंने आपका ध्यान इसलिए आकर्षित किया है क्योंकि मुझे लगता है कि यह मेरा कर्तव्य है। आपका क्या कर्तव्य है इसका निर्धारण तो आप ही को करना है।

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